मित्रों, देश में आज एक
अजब ही माहौल बना हुआ है, खासतौर से गुजरात में, जहां पर फिलहाल चुनाव जारी हैं, सारा देश और सारा मीडिया इस प्रकार से दर्शा रहा है मानों नरेंद्र भाई मोदी पुनः सत्ता में आ ही गए हों, परन्तु मुझे एक आशंका होती है, और वह यह कि कुछ इसी तरह का माहौल चंद वर्षों पूर्व 2004 में भी बना था जब चारो तरफ एक खुशनुमा माहौल बनने की बात की जा रही थी और जिसका अंग्रेजी अर्थ "फील गुड" बताया जा रहा था, उस वक्त भी कांग्रेस के भीतर निराशा व्याप्त थी, किसी कांग्रेसी नेता के शरीर से ऊर्जा प्रस्फुटित नहीं हो रही थी, परन्तु जब परिणाम घोषित हुए तो सारी खुशनुमा हवा गायब हो गई, कांग्रेस के लुंज पुंज पड़
चुके चेहरे भी कांतिमय हो गए जबकि भाजपा का आभामंडल अचानक ही शनि देव की वक्रदृष्टि पड़ने के कारण निस्तेज नज़र आने लगा, मित्रों, जितनी सत्य भाजपा की तब की हार है, उतनी ही सही यह बात भी ही है कि उस काल में भी भाजपा ने अत्यधिक जनकल्याणकारी कार्य किए थे, प्रजा खुश थी, देश परमाणु सम्पन्न बन चुका था, सामान्य प्रशासन व्यवस्था भी कमोबेश चुस्त दुरूस्त ही थी, परन्तु
फिर भी यदि भाजपा की हार हुई थी तो उसके
कुछ कारण तो अवश्य ही रहे होंगे, क्या आपको ऐसा ही कुछ फील गुड गुजरात में आज नहीं दिख रहा, माफ़ कीजिये परन्तु यदि ऐसा ही परिणाम आज यदि गुजरात में भी दृष्टिगोचर हो तो, तो क्या होगा ?
मित्रों यह सच
कि एंटी इंकम्बेंसी एक फैक्टर सदैव ही होता है, जो आमतौर पर चुनावों को प्रभावित करता है, प्रजा कितनी भी खुशहाल क्यूं न हो, उसकी अधिक की चाह सदैव ही बनी रहती है, वह सदैव ही किसी बदलाव को आजमा कर देखना चाहता है, इस आस मे कि शायद बदलाव एक नई
हवा, नई उर्जा लेकर आये जो की उसके घर आंगन में नई तरह की खुशबू बिखेर सके, और यही वह कारण है जोकि एंटी इंकम्बेंसी कहा जाता है और वही नरेंद्र भाई की राह
में रोड़े अटका सकता है ।
अच्छा सोचिए, पल भर
के ही लिए, अरे बाबा अब सोच भी लीजिए, मानो मोदी गुजरात चुनाव हार जाते हैं, फिर, फिर क्या होगा, दिमाग शून्य हो रहा है न, जी हां ऐसा ही कुछ शून्य भाजपा के भीतर भी उभर कर आएगा, पूरी भाजपा में ही उथल पुथल मच जाएगी, विपक्षी दल ताने कसेंगे, प्रधानमंत्री पद की मोदी की दावेदारी ठंडे बस्ते में चली जाएगी, शायद सुषमा नई प्राइम-मिनिस्टर-इन-वेटिंग (!) होंगी, कांग्रेस की नई गुजरात सरकार अवश्य ही उस जिन्न को बोतल से निकालने का पूरा प्रयास करेगी, जिसने आज तक मोदी का पीछा नहीं छोड़ा है, जी हां दुरूस्त समझे आप मैं गोधरा का ही जिक्र कर रहा हूं, फिर मोदी सीबीआई दफतर के चक्कर काटते नजर
आएंगे, तो क्या मोदी का हाल बाबा रामदेव सरीखा हो जाएगा, पता
नहीं बाबा कौन इतनी माथापच्ची करे, सोच सोच के ही पसीने आते हैं,
अरे गुस्सा मत हो भाई, मैं तो महज
एक आशंका व्यक्त कर रहा हूं, ईश्वर करे कि मोदी जीत जाएं और पुनः गुजरात की सत्ता हासिल करें, प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पेश करें, उन्होंने गुजरात के विकास के अथक प्रयास किये हैं, विजय श्री पर उनका और सिर्फ उनका हक़ बनता है, परन्तु हार जीत लोकतंत्र के अभिन्न हिस्से हैं, चुनाव से पूर्व ही इतना हाइप उचित नहीं कि परिणाम विपरीत होने पर पैरों के नीचे की जमीन खिसक जाए और सदमें से उबरने में सदियां छोटी लगने लगें,
मनोज
केवल और केवल मोदी जी ही जीत के हक़दार है बाकी किस्मत में क्या लिखा है किसे पता है| निश्चित तौर पर उनकी हार हजम नहीं होगी पर देखा जायेगा | सार्थक लेख| आभार|
ReplyDeleteअगर सच में ऐसा हो गया तो वहीं होगा जो केन्द्र में हो रहा है।
ReplyDeleteबाबा बोल रहे थे कल पश्चिम से सूरज निकलेगा ।
ReplyDeleteहम कहा - निकल ही नहीं सकता
बाबा बोले - अरे मान लो निकल गया तो
हम कहा - फिर पूरब में डूबेगा ... लेकिन बाबा मेग्नेटिक कम्पास में लाल निशान दूसरी तरफ लगाने से दिशा नहीं बदलती ।