Sunday 30 October 2011

सब बढ़िया है....


आधुनिकता के दौर में,
टूटा हर सुख सपना,
हुए स्वार्थी रिश्ते नाते,
मीत बचा न कोई अपना,
खींच खांच के चलती गाड़ी लढ़िया है...
सब बढ़िया है......

टूटी फूटी खटिया पर, 
बैठा अध्यापक,
जनगणना, मतगणना का
हर काम है व्यापक,
बच्चों हित ना बोर्ड चटाई खड़िया है... 
सब बढ़िया है...

भई दूर रोटी चटनी,
सत्तू पिआज मरचा चोखा,
निर्धन की टूटती साँसों से,
वे ढूँढते वोटों का मौका,
टूट रही सत्ता समाज की कड़ियाँ हैं...
सब बढ़िया है.....

देखी नार टपकती लार, 
ढूंढ रहे सज्जन ये प्यार,
घर में बीवी बच्चों को छोड़
है बाहर में मुंह रहे मार,
टूटे दांत, पोंपला चेहरा पेट हो गया हड़िया है .
सब बढ़िया है....






गाँव छोड़ छोड़ा सुकून,
सब भागम-भाग का रेला है,
उलझा मन ऊँचे भवन देख,
हर काम में यहाँ झमेला है,
मन को तो देती सुकून मेरे गाँव की टूटी माड़िया है..
सब बढ़िया है...




मनोज 

Wednesday 12 October 2011

वाह री अभिव्यक्ति !!!

आज घर आया तो पता चला कि भाई प्रशांत भूषण पिट गए.....कारण जाना तो पता चला कि साहेब चाहते थे कि कश्मीर में जनमत संग्रह करवा लिया जाए....... और उसके जरिये कश्मीर के भविष्य का फैसला हो जाए....... वाह वाह क्या बात है........ लेकिन इसमें नई बात क्या है ??? संयुक्त रास्ट्र संघ ने तो १९४८ में हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा मामला ले जाने पर यही प्रस्ताव पारित किया है........  लेकिन हमने नहीं माना........ तब भी ...... और उसके बाद आज तक ........फिर आज भला उस प्रसंग को पुनः कुरेदने क़ी आवश्यकता ??? ...... शायद नहीं थी..... 


परन्तु कोई बात नहीं......... प्रशांत भूषण ठहरे बड़े वकील हैं ...... प्रसिद्धी का नवीनतम   भूत उनके सर पर सवार है.......तभी तो इस बात का भी ख्याल नहीं रखा......कि देश क़ी संसद अनेकानेक बार ये प्रस्ताव संसद में पारित कर चुकी है कि ......कश्मीर हमारा अभिन्न अंग है......... और संसद तो देश का प्रतिनिधित्व करती है.......  और उसमे पारित प्रस्ताव स्वतः कानून है.......... फिर वकील साहेब ने कानून क़ी अवहेलना क्यों क़ी ??? ...... इसमें दो राय नहीं .......कि उन्हें भली भांति ज्ञात था कि उनकी बात का समर्थन तो कम से कम देश में नहीं होगा....... और विरोध होना स्वाभाविक है ......... और फिर इसके जरिये चर्चा........ और चर्चा है तो प्रसिद्धी में चार चाँद....... वाह भाई वाह ...... बस सुरक्षा व्यवस्था करना  भूल गए आप अपनी ........ खैर कोई बात नहीं....... आइन्दा ख्याल रखियेगा......... वैसे आप तो वकील हैं.........अपना मुकदमा अच्छे से रख कर उन युवकों को काफी समय के लिए अन्दर तो करवा ही दीजियेगा ...... बढ़िया है ....... 


अब आते है उनकी बात के प्रभाव पर ....... चलिए मान लिया कश्मीर में जनमत संग्रह करवा दिया जाए ...... सर्वविदित है, की उस दशा में इस पर दो ही फैसले आ सकते हैं...... लेकिन फिर उसके बाद तेलंगाना राज्य बनाने के लिए, गोरखालैंड बनाने के लिए, नक्सलवाद को मान्यता देने के लिए, रामजन्म भूमि पर मंदिर बनाने के लिए और  यही क्यों हर विवादित मामले को सुलझाने के लिए जनमत संग्रह क़ी मांग कैसे गलत होगी ? ..........यही क्यों इतिहास को पुनर्जीवित कीजिये....... हैदराबाद और जूनागढ़ भी भारत में स्वेच्छा से सम्मिलित नहीं हुए थे.......वहां के लोगों को न्याय दिलाने के लिए वहां भी करवा लीजिये जनमत संग्रह .......यही चाहते हैं ना आप......

परन्तु मित्रों बात इतनी सी नहीं है........... आज कुछ लोगों ने अभिव्यक्ति के नाम पर देश को गाली देने क़ी परिपाटी शुरू कर दी है....... वो कुछ भी करें........ उसका विरोध नहीं होना चाहिए ..........उसका विरोध करने वाले उनकी आजादी के दुश्मन हैं ...... अभिव्यक्ति का सम्मान न करने वाले लोग हैं .........उन्हें शांति पूर्ण तरीके से अपनी बात भी रखनी चाहिए थी ........ ऐसे बयान तुरंत आने लगेंगे....... 

लेकिन प्रश्न है ये अधिक आजाद लोग ऐसी बाते करते ही क्यों हैं जो दूसरो क़ी भावनाओं को ठेस पहुचाये ?........ उन्हें क्यों नहीं लगता क़ी देश को अखंड मानने वाले लोग, देश के बिखराव क़ी बात सुनके बिखर जायेंगे....... उन्हें गुस्सा आएगा और उससे भी अधिक उन्हें दुःख  होगा ...... ऐसे बहुत सारे लोग हैं  .... घर के भीतर, बाज़ार में, सड़क पर हर कहीं .........जिनके ह्रदय में असहनीय पीड़ा होती है ऐसी बातो को सुनने से.........परन्तु वो चाह के भी उसका विरोध नहीं कर सकते ........ वे विवश होते हैं ......... उतने ही जितने किसी चौराहे पर लगे अश्लील पोस्टर को बर्दाश्त लिए.........क्या उनकी मौन अभिव्यक्ति कोई  कभी नहीं सुनेगा........ लेकिन आखिर कब तक....... एक नग्न चित्र बनाने वाले को अपने देश क़ी मिटटी तक नसीब नहीं हुई........ लोगों को समझाना चाहिए कि वे ऐसा कुछ ना करे या कहें जो उनके लिए घातक साबित हो ........और देश के लिए लज्जाजनक .....

मैंने बचपन में एक कहानी पढ़ी थी..... बात सन ४७ कि थी, उसमे एक व्यक्ति अपने हाथ में डंडा लेकर चारो और लहरा रहा था..... जो आने जाने वाले लोगों को लग रही थी ........और वो इधर उधर भाग रहे थे........ एक व्यक्ति जो काफी देर से उस घटनाक्रम को देख रहा था उसके पास आया और उससे पूछा .....

"भाई साहेब आप इस तरह से डंडा क्यों घुमा रहे हैं देख नहीं रहे इससे लोग परेशान हो रहे है"....... 
"आपको पता नहीं कि देश आजाद हो गया है ..........और मैं भी......मैं तो मात्र अपनी ख़ुशी का इज़हार कर रहा हूँ." वह युवक चहकते हुए बोला.......
"सत्य है, देश आजाद है और आप भी......परन्तु आपकी आजादी वहीँ तक है जहाँ तक आपकी नाक........उसके आगे तो दूसरे कि आजादी शुरू हो जाती है." कहते हुए उस व्यक्ति ने उसके हाथ के डंडे को लेकर तोड़ दिया......

कथन का अर्थ सरल है ...........इस बात पर भी चिंतन होना चाहिए कि वकील साहेब ने अपनी आजादी का जश्न मनाते हुए कहीं दूसरे कि आजादी भंग तो नहीं की.........



मनोज

Sunday 9 October 2011

ताजा समाचार !!!


मत दें वोट कांग्रेस को ........... अन्ना का आह्वान...
नहीं ये सच्ची पार्टी ............... .उन्हें मिला है ज्ञान...
उन्हें मिला है ज्ञान..................प्रचार उनके विरुद्ध है....
बार बार खाकर धोखा..............ये वृद्ध क्रुद्ध है......
तुलसी ने सच कहा है..............भय बिनु होय ना प्रीत...
भ्रस्टाचार के शत्रु से.................अब भय से होगी जीत......





  घर में कलह अशांति................लेती है सुख छीन...
  नारी पर आरोप ये....................लगते हैं संगीन...
  लगते हैं संगीन.........................यही घर तोड़ने वाली..
  जर जमीन के संग....................जंग को जन्मने वाली...
  कह मनोज सच जान लो...........मित्रों खोल के कान...
  शांति की खातिर तीन नारियों.... को नोबेल सम्मान...




धर्म नाम ले गुट बना.............रहे इक दूजे को चढ़ाय...
जाति पाति के नाम पर.........झंडा लियो उठाय.....
झंडा लियो उठाय .................नाम को हिन्दुस्तानी......
पर कर्मों से निंदाजनक.........निपट अज्ञानी......
कह मनोज मानव यही..........मानवता का काल.....
इक दूजे को फांसते...............खुद फंसता है जाल......



           
           सुना है अन्ना राष्ट्रपति.............हों ऐसा प्रस्ताव......
           कहती है कांग्रेस कि.................इसीलिए है ताव.....
           इसीलिए है ताव......................विरोध भी कांग्रेस का...
           सत्ता का है जाल......................नहीं बस ख्याल देश का...
           कह मनोज पद का नहीं...........है अन्ना को रोग.....
           बनते हैं तो राष्ट्रहित ................का उत्तम संयोग....

                                                                                मनोज