हे हृदय सम्राट
व्यक्ति हे मानव महा विराट
सदा ही मोहक सी मुस्कान
उच्चनतम भारत मां के ललाट
खो दिया पल में ही सबने
सुन्दरतम अपना गहना है...
सहसा ये क्या हुआ कठिन सहना है....
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हे बहुआयामी विकराल
बनाये तुमने शत्रु के काल
बजाये सबने अपने गाल
मगर तुम सौम्य रहे हर हाल
हां धारा सा प्रवाह ये जीवन
सबको बहना है....
सहसा ये क्या हुआ कठिन सहना है....
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सहसा ये क्या हुआ कठिन सहना है....
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देश का खूब रखा सम्मान
देश को मिली नई पहचान
इस गुणसागर रस खान
अग्नि ने अन्तिम भरी उडान
अब कह ले दुनिया खूब
जिसे जो कुछ भी कहना है...
सहसा ये क्या हुआ कठिन सहना है...
मौन की अपनी भाषा पर मुश्किल
चुप रहना है ....
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(माननीय ए.पी.अब्दुल कलाम को सादर श्रद्धांजली)
मनोज
बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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