वो कहें कुछ भी करें, तो व्यक्त अभिव्यक्ति हुई,
हम कहें जो सच, सशक्त अंकुश लगाना चाहिए....
मूढमति को मूढ़ कहना, है बड़ी ये ध्रस्टता,
क्या कहें उनको ये उनसे, पूछ आना चाहिए....
देखने को मूल्य-वृद्धि, अर्थ के मर्मज्ञ हैं,
तब तलक अब अपने मुंह, ताला लगाना चाहिए...
अब विदेशी ही करेंगे, पेट का भी फैसला,
जीना हो तो आपको, मल अपना खाना चाहिए...
जनता की लूटी कमाई, रक्षकों ने शान से,
नादिरशाही भी हुई, लज्जित लजाना चाहिए....
वे तेरी अस्मत से पर्दा, खींचने को व्यग्र हैं,
कौरवों को मन मुताबिक, इक बहाना चाहिए...
रक्त है सस्ती हुई, अब जिंदगी के मोल से,
मौन रहना राष्ट्रभक्ति, है निभाना चाहिए....
मनोज
कल 08/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
कल 09/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
पिछले कमेन्ट मे गलत तारीख देने के लिए क्षमा चाहता हूँ।
अब विदेशी ही करेंगे, पेट का भी फैसला,
ReplyDeleteजीना हो तो आपको, मल अपना खाना चाहिए...
जनता की लूटी कमाई, रक्षकों ने शान से,
नादिरशाही भी हुई, लज्जित लजाना चाहिए....
वे तेरी अस्मत से पर्दा, खींचने को व्यग्र हैं,
कौरवों को मन मुताबिक, इक बहाना चाहिए...
बहुत ही कडवी सच्चाई को उकेरा है ………बेहतरीन्।
बहुत बढ़िया ग़ज़ल!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखी है आपने!
ReplyDeleteजनता की लूटी कमाई, रक्षकों ने शान से,
ReplyDeleteनादिरशाही भी हुई, लज्जित लजाना चाहिए....
behatareen
हो चुकी देर अब बहुत हमें भी जागना चाहिए...
ReplyDeleteबजा चुके ताली बहुत अब खुद भी कुछ करना चाहिए...
बहुत बहुत बहुत बहुत ही बेहतरीन.....शुभकामनाएं
आपके ब्लॉग पर नई पुरानी हलचल से आना हुआ.
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुति से कचोट होती है दिल को.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है,मनोज जी.
Gazab ka karara vyang....
ReplyDeleteAdbhut..Behtareen...Ekdum Sateek....
www.poeticprakash.com
सशक्त एवं सटीक रचना...
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteरक्त है सस्ती हुई, अब जिंदगी के मोल से,
ReplyDeleteमौन रहना राष्ट्रभक्ति, है निभाना चाहिए....
बेहतरीन पंक्तियाँ .... सटीक बैठती हैं आज के हालात पर
Badi bebaki se apne apni rachna ko pesh kiya hai
ReplyDeletewaah behtreen prastuti