मित्रों,
आज टी.वी. पर चर्चा के एक दो ही विषय है, लगता है देश के सभी मुद्दे आज
गौण हो चले हैं, एक तरफ सिर्फ और सिर्फ श्रीमान मोदी जी की पत्नी की चर्चा
है, तो दूसरी तरफ एक चर्चा और चल रही है, वह यह कि एक श्रीमान सेकुलर और
एक श्रीमान कम्युनल दोनों पर एक साथ रैली, भाषण और रोड शो पर रोक लगा दी
गई है, आइए इसके निहितार्थ तलाशने का यत्न करते हैं,
मित्रों, जहां तक चुनावी प्रचार व भाषणों पर प्रतिबंध का प्रश्न है, मेरे विचार से यह उचित ही है, अनुचित प्रलाप करने वाले भाषणकर्ता पर रोक उचित है, परन्तु यह रोक चयनित है, मसलन सहारनपुर के कांग्रेस प्रत्याशी पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया था, अनर्गल प्रलाप रोज ही करने वाले महान बेनी बाबू पर क्यों नहीं लगाया गया, मुलायम सिंह पर क्यों नहीं लगाया गया, और तो और अपनी बेतुकी बातों से जायका बिगाडने वाले, ओसामा जी के प्रिय दिग्विजय सिंह पर क्यों नहीं लगाया गया, कारण राजनीतिक दिखते हैं, अब देखिए, श्रीमान आजम खान का बयान घोर निंदनीय था, किसी भी सभ्य समाज में सैन्य बलों को धार्मिक आधार पर देखा समझाा जाना अकल्पनीय व आत्मघाती है, परन्तु ऐसे में चुनाव आयोग निष्पक्ष दिख सके इसलिए अमित शाह पर भी प्रतिबंध लगाना आवश्यक था, भाई समन्वय भी भला कोई चीज होती है, और निष्पक्ष दिखना भी चुनावों में उतना ही जरूरी होता है, जैसा कि चुनाव आयोग ने दिखाया, तो उचित है,
.
मित्रों, अब एक दूसरी बात, श्रीमान ए.के.49 ने कहा कि वे मोदी और राहुल को हराने के लिए किसी का भी समर्थन लेने को तैयार है, ध्यान देने योग्य बात यह कि अभी तक श्रीमान अंसारी ने अपना समर्थन दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री को देने की बात की नहीं है, तो इस उतावलेपन को क्या कहा जाना चाहिए, क्या इससे भ्रष्टाचार के विरूद्ध आप की लडाई को बल मिलेगा, परन्तु गंभीर अपराध के आरोपियों का सहयोग लेकर वे किस पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं, कौन से भ्रष्टाचार का आरोप है मोदी जी पर, यह तो पता नहीं, परन्तु सत्य यह है कि ये श्रीमन अपनी कुठित इच्छाओं की तुष्टि चाहते हैं, भले ही उसकी कीमत कुछ भी देनी पडे, किसी को भी देनी पडे, जन को अथवा जनतंत्र को .... बहरहाल, वे अपनी दुर्भावना में सफल होंगे, इसकी संभावना नहीं दिख रही,
.
और अब सबसे अहम् बात, मित्रों, प्रेम एक छोटा सा शब्द है, परन्तु इसका विस्तार अनन्त है, प्रेम में सदैव ही कुछ प्राप्त होगा, ऐसा नहीं होता, प्रेम तो एक समर्पण है, विश्वास है, निष्ठा है, हृदय में प्रवाह होता एक अनन्य भाव है, प्रेम के कई रूप है, मीरा का प्रेम है, तो सीता का भी प्रेम है, उर्मिला का प्रेम है तो भरत का भी प्रेम है, और यह अनन्त गाथा है, इसी गााथा में जसोदा बेन भी आती है, प्रेम का यह एक असाधाराण रूप है, जो व्यक्ति को दिव्य बनाता है, तेजवंत करता है और उसे इतिहास के पन्नों में सदैव के लिए जीवंत कर देता है, मित्रों, बिरले लोग ही ऐसे सौभाग्यशाली होते हैं, जिन्हें जीवन में इस वास्तविक प्रेम की प्राप्ति होती है, प्रेम के इस रूप की भी स्तुति होनी चाहिए, न की आलोचना और उपेक्षा ..... बहरहाल, टी.वी स्टूडियों में वोट तलाशते लोग इसे समझने का क्यों यत्न करने लगे, उन्हें जो रस चाहिए वह यहां नहीं, यह वह प्रेम नहीं, जो उन्हें तुष्ट करता है, वे अपने भावार्थ समझने में व्यस्त हैं,
.
वैसे आपको क्या, आप तो अपने राष्ट्र प्रेम की बात करिए, और यही कहिए .........
अबकी बार .....................
मित्रों, जहां तक चुनावी प्रचार व भाषणों पर प्रतिबंध का प्रश्न है, मेरे विचार से यह उचित ही है, अनुचित प्रलाप करने वाले भाषणकर्ता पर रोक उचित है, परन्तु यह रोक चयनित है, मसलन सहारनपुर के कांग्रेस प्रत्याशी पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया था, अनर्गल प्रलाप रोज ही करने वाले महान बेनी बाबू पर क्यों नहीं लगाया गया, मुलायम सिंह पर क्यों नहीं लगाया गया, और तो और अपनी बेतुकी बातों से जायका बिगाडने वाले, ओसामा जी के प्रिय दिग्विजय सिंह पर क्यों नहीं लगाया गया, कारण राजनीतिक दिखते हैं, अब देखिए, श्रीमान आजम खान का बयान घोर निंदनीय था, किसी भी सभ्य समाज में सैन्य बलों को धार्मिक आधार पर देखा समझाा जाना अकल्पनीय व आत्मघाती है, परन्तु ऐसे में चुनाव आयोग निष्पक्ष दिख सके इसलिए अमित शाह पर भी प्रतिबंध लगाना आवश्यक था, भाई समन्वय भी भला कोई चीज होती है, और निष्पक्ष दिखना भी चुनावों में उतना ही जरूरी होता है, जैसा कि चुनाव आयोग ने दिखाया, तो उचित है,
.
मित्रों, अब एक दूसरी बात, श्रीमान ए.के.49 ने कहा कि वे मोदी और राहुल को हराने के लिए किसी का भी समर्थन लेने को तैयार है, ध्यान देने योग्य बात यह कि अभी तक श्रीमान अंसारी ने अपना समर्थन दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री को देने की बात की नहीं है, तो इस उतावलेपन को क्या कहा जाना चाहिए, क्या इससे भ्रष्टाचार के विरूद्ध आप की लडाई को बल मिलेगा, परन्तु गंभीर अपराध के आरोपियों का सहयोग लेकर वे किस पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं, कौन से भ्रष्टाचार का आरोप है मोदी जी पर, यह तो पता नहीं, परन्तु सत्य यह है कि ये श्रीमन अपनी कुठित इच्छाओं की तुष्टि चाहते हैं, भले ही उसकी कीमत कुछ भी देनी पडे, किसी को भी देनी पडे, जन को अथवा जनतंत्र को .... बहरहाल, वे अपनी दुर्भावना में सफल होंगे, इसकी संभावना नहीं दिख रही,
.
और अब सबसे अहम् बात, मित्रों, प्रेम एक छोटा सा शब्द है, परन्तु इसका विस्तार अनन्त है, प्रेम में सदैव ही कुछ प्राप्त होगा, ऐसा नहीं होता, प्रेम तो एक समर्पण है, विश्वास है, निष्ठा है, हृदय में प्रवाह होता एक अनन्य भाव है, प्रेम के कई रूप है, मीरा का प्रेम है, तो सीता का भी प्रेम है, उर्मिला का प्रेम है तो भरत का भी प्रेम है, और यह अनन्त गाथा है, इसी गााथा में जसोदा बेन भी आती है, प्रेम का यह एक असाधाराण रूप है, जो व्यक्ति को दिव्य बनाता है, तेजवंत करता है और उसे इतिहास के पन्नों में सदैव के लिए जीवंत कर देता है, मित्रों, बिरले लोग ही ऐसे सौभाग्यशाली होते हैं, जिन्हें जीवन में इस वास्तविक प्रेम की प्राप्ति होती है, प्रेम के इस रूप की भी स्तुति होनी चाहिए, न की आलोचना और उपेक्षा ..... बहरहाल, टी.वी स्टूडियों में वोट तलाशते लोग इसे समझने का क्यों यत्न करने लगे, उन्हें जो रस चाहिए वह यहां नहीं, यह वह प्रेम नहीं, जो उन्हें तुष्ट करता है, वे अपने भावार्थ समझने में व्यस्त हैं,
.
वैसे आपको क्या, आप तो अपने राष्ट्र प्रेम की बात करिए, और यही कहिए .........
अबकी बार .....................
(मनोज)
No comments:
Post a Comment