Thursday, 29 September 2011

छोटी छोटी बातें !!





बैठे बिठाये हो रहा .............जन गण का अपमान.......
चिंतित मन कैसे बचे..........अब सबका सम्मान.....
अब सबका सम्मान...........बड़ा मुश्किल सच कहना.....
चाबुक चलता चपल............चाशनी जब ना पहना....
कह मनोज आलोचना.........का न पचना आसान.....
लुटता है लुटता रहे.............अभिव्यक्ति सम्मान.......






                    रूपये बत्तीस बहुत हैं............कहती ये सरकार......
                    अर्थशास्त्री राज में...............ज्यादा है धिक्कार ......
                    ज्यादा है धिक्कार .............गाँव में छब्बीस ज्यादा...
                    मित्रों मत तुम भूलना.........अब अपनी मर्यादा.....
                    कह मनोज सरकार का ......नहीं है कोई दोष....
                    सत्ता मद में गौड़ है...............जनता का आक्रोश........







बैठे दो मंत्री मिले.................धुले सभी के कलंक.....
दोनों ने मुस्कान से ............जनता को दिए डंक....
जनता को दिए डंक......... ..नकारे सभी घोटाले....
कहा कि बस थे ...................नीति पुराने हमने डाले...
कह मनोज कलि काल में.....नैतिकता अभिशाप....
रूढ़ीवादी लोग ही..................करते इसका जाप....




मनोज  

12 comments:

  1. बहुत ही खबसूरत से जन समस्याओं को अपने शब्दों में पिरोया है.....

    ReplyDelete
  2. डायेरेक्ट.
    खरी-खरी!
    आशीष
    --
    लाईफ?!?

    ReplyDelete
  3. कल 05/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  4. bahut saarthak aur gahan chintan prastuti..

    ReplyDelete
  5. जन समस्याओं को उजागर करने का अभिनव प्रयोग है आपकी रचना में..आभार

    ReplyDelete
  6. गहरा विश्लेषण... सार्थक पंक्तियाँ...
    सादर...

    ReplyDelete
  7. सटीक और सार्थक ..

    ReplyDelete
  8. ye tamaache padate bhee hain kisi neta ke gaalon par , ya sirf pathhakon ke liye hi likhe jaate hain ?
    p.d. bajpai

    ReplyDelete
  9. bahut bahdia........ bus ese hi likhte rahe..... ek din hamen ye khane mein kabhi garv hoga ki ye mere badi bhai hai.... oriental bank ka naam bhi roshan hoga.. kya khub likhe........

    ReplyDelete
  10. BAHUT KHUB LIKHI......... AAJ MEIN KABHI GARV MAHSUS KAR RAHA HUN KI MANOJ MERE BADI BHAI HAI... AUR MEIN UNHE JANTA HUN. EK DIN AAP SAHITYA AUR KAVITA KE DUNIYA MEIN EK PAHCHAN BANENGE. AURE SAHITYA JISKE PARTI LOGO KA RUCHI KAM HOTA JA RAHA HAI UMMEIN RUCHI LENE KE LIYE MAJBOOR KAR DENGE. BUS AAP ESI TARAH BADTE RAHE........... BEST OF LUCK

    ReplyDelete