गीदड़ क्यों बन बैठे, भारत माता के प्यारे तुम शेरों
अरि के सम्मुख शीश नवाते, लज्जा क्या आई थी बोलो
उनके चुभते शस्त्रों से स्तब्ध न हो बल अपना तोलो
तेरे पास है शक्ति असीमित, अपना शस्त्रागार टटोलो
करो याद कब कब तुमने शत्रु का शीश झुकाया है
करो याद हम सबके लिए कैसे अमृत भी जुटाया है
करो याद कैसे जन जननी ने तुमको सम्मान दिया
करो याद उस ध्वज को जिसके सम्मुख है अभिमान किया
जग जीता था, जग जीतेंगे नहीं पराजय पायेंगे
कसम हमें है मातृभूमि कि दर्प शत्रु का चूर्ण करेंगे
देशवासियों धैर्य धरो हम स्वप्न सभी के पूर्ण करेंगे
देशवासियों धैर्य धरो हम स्वप्न सभी के पूर्ण करेंगे
मनोज
very nicely written
ReplyDeleteiss baar nahi oth agli baar sahi
after all positivity is our(india's) main feature
और नहीं बस शिथिल पड़ो कह दो विजयी बन आयेंगे
ReplyDeleteजग जीता था, जग जीतेंगे नहीं पराजय पायेंगे
कसम हमें है मातृभूमि कि दर्प शत्रु का चूर्ण करेंगे
देशवासियों धैर्य धरो हम स्वप्न सभी के पूर्ण करेंगे
....yahi to hamari bhi sadichha hai..
badiya josh bharti rachna..
Haardik shubhkamnayen!
maine match dekha to nahi hai par haar or jeet to sikke ke do pehlu hai jeetne k liye haar ka mukh kabhi na kbhi dekhna hi padta hai dear,
ReplyDeletewaise poem boht khub likhi h aapne
good one
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