कौन है कहता यारों कि ये होता भ्रस्टाचार
श्रम बिना धन अर्जित करने का है मात्र विचार
फिर क्यू हो किसी पे एक्शन
जब घर घर में है करप्शन
एक थे साहेब मिले थे जिनके बिस्तर में से नोट
बने थे मंत्री ये तो प्यारे पा पब्लिक का वोटबनी अदालत पर ना पाई उसने इसमें खोट
गधा ज्यों लोटे मिट्टी में वो धन मे रहे थे लोट
सुख देता है राम तो भैया क्यू करते हो वार
श्रम बिना धन अर्जित करने का है मात्र विचार
फिर क्यू हो किसी पे एक्शन
जब घर घर में है करप्शन
वोट कम पड़े तो कर डाला उसका भी व्यापार
छोटे छोटे दलों को धन दे खूब समेटा प्यार
पर चींटी जैसे गुड ना छोडती छोड़ी ना सरकार
जब नरसिंह भगवान् प्रसन्न तो सबकी टपके लार
श्रम बिना धन अर्जित करने का है मात्र विचार
फिर क्यू हो किसी पे एक्शन
जब घर घर में है करप्शन
गलती ये की मौका देख के भाग नहीं ये पाए
सोचा तो सरकार है अपनी अभी और भी कमायें
पर जजों की बैठी टीम तो लोहे के कंगन बनवाये सुर के ईश ने यही पर माना हुआ है अत्याचार
श्रम बिना धन अर्जित करने का था मात्र विचार
फिर क्यू हो किसी पे एक्शन
जब घर घर में है करप्शन