उस दिन मैंने उसको देखा
मौत मांगते
उसकी सूनी आँखों से
ये कहते कि
कई दशक से जड़वत
होकर टूट चुकी हूँ
सहते-सहते
छोड़ चुके हैं वो भी जिनको
कहती दुनिया है सम्बन्धी
अश्रु नैन को छोड़
जा चुके
कब तक रहते वो भी बंदी
अब तो Ÿ¸¼÷¡¸º मुक्ति ही
दे दो दंडाधिकारी
न्यायाधीशों
दंड ईश के कर्म का
दे दो
जिसने नारी रूप दिया था
दंड समाज के लिए मुझे दो
जिसने मुझे विरूप किया था
दे दो मुझको
Ÿ¸¼÷¡¸º-तुल्य इस सर्व-प्रदत्त
कष्टों से मुक्ति
वृद्ध जीर्ण असहाय शरीर
में नहीं रह गई कोई
शक्ति
पर नियमों से ¤¸×
न्याय ने न दर्शाई
जरा भी करुणा
क्षमा हमें मत करना
तेरे अपराधी
हम सब हैं अरुणा !!
उसकी सूनी आँखों से
ये कहते कि
कई दशक से जड़वत
होकर टूट चुकी हूँ
सहते-सहते
छोड़ चुके हैं वो भी जिनको
कहती दुनिया है सम्बन्धी
अश्रु नैन को छोड़
जा चुके
कब तक रहते वो भी बंदी
अब तो Ÿ¸¼÷¡¸º मुक्ति ही
दे दो दंडाधिकारी
न्यायाधीशों
दंड ईश के कर्म का
दे दो
जिसने नारी रूप दिया था
दंड समाज के लिए मुझे दो
जिसने मुझे विरूप किया था
दे दो मुझको
Ÿ¸¼÷¡¸º-तुल्य इस सर्व-प्रदत्त
कष्टों से मुक्ति
वृद्ध जीर्ण असहाय शरीर
में नहीं रह गई कोई
शक्ति
पर नियमों से ¤¸×
न्याय ने न दर्शाई
जरा भी करुणा
क्षमा हमें मत करना
तेरे अपराधी
हम सब हैं अरुणा !!
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