मेरी जिंदगी में दस्तक देने की क्या जरूरत
कब से तो मैं खड़ा हूं, देखों पसारे बाहें
उनकी अदा तो अब कुछ, करती असर न ज्यादा
जब पेट पर पड़ी हो, हैं रूठती निगाहें
कहते गरीबी गफलत, है देश में तरक्की
है शोरोगुल की दुनिया, खामोश हैं कराहें
इंसान की सब सासें, अब जब्त हो चुकी हैं
सरकार को लगेगी, हर आदमी की आहें
मत ख्वाहिशों को पालो, ना लालची तुम होना
दिल वरना न मिलेंगे, कोई चाहे जितना चाहे
शब्दों से वफा करना, ये शब्द कीमती हैं
दो पल में जुदा होती, हैं हमसफर की राहें
है नष्ट होना सब कुछ, फिर किसकी क्या अमीरी
जब वक्त आता उल्टा, सब मांगते पनाहें
कब से तो मैं खड़ा हूं, देखों पसारे बाहें
उनकी अदा तो अब कुछ, करती असर न ज्यादा
जब पेट पर पड़ी हो, हैं रूठती निगाहें
कहते गरीबी गफलत, है देश में तरक्की
है शोरोगुल की दुनिया, खामोश हैं कराहें
इंसान की सब सासें, अब जब्त हो चुकी हैं
सरकार को लगेगी, हर आदमी की आहें
मत ख्वाहिशों को पालो, ना लालची तुम होना
दिल वरना न मिलेंगे, कोई चाहे जितना चाहे
शब्दों से वफा करना, ये शब्द कीमती हैं
दो पल में जुदा होती, हैं हमसफर की राहें
है नष्ट होना सब कुछ, फिर किसकी क्या अमीरी
जब वक्त आता उल्टा, सब मांगते पनाहें
मनोज