tag:blogger.com,1999:blog-8095515996789094583.post7041170627168079611..comments2023-09-08T08:14:16.644-07:00Comments on आइये, कुछ बातें करें ! (Let's Talk): सरकार का अनर्थशास्त्रमनोज कुमार श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/17345943104372024070noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8095515996789094583.post-84477215327776221832011-11-28T09:51:12.379-08:002011-11-28T09:51:12.379-08:00विचारणीय बिन्दुओं का विश्लेषण किया है ...... इतना...विचारणीय बिन्दुओं का विश्लेषण किया है ...... इतना तय है की सरकारों सही मायने में देश और नागरिकों की भलाई की सूझती ही नहीं है ..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8095515996789094583.post-49873596816651026532011-11-28T07:59:11.232-08:002011-11-28T07:59:11.232-08:00संजय भाई...... इसमें क्या शक की हावर्ड के प्रोफेसर...संजय भाई...... इसमें क्या शक की हावर्ड के प्रोफेसरों को इतनी तो समझ निश्चित रूप से होगी ही..... परन्तु समस्या कहाँ है..... समस्या यही है की वे हावर्ड के प्रोफेस्सर the...... काश कुछ दिन उन्होंने हिन्दुस्तान में भी निचले स्तर पर कार्य किया होता.... <br /><br />उनकी समस्या तो ये है की उन्हें मर्ज़ का ही नहीं पता..... उन्हें लगता है की देश के लोग उतने ज्यादा गरीब नहीं है.......और फिर उनकी आमदनी भी बढ़ गई है..... अब जब बीमारी का अता पता ना हो तो फिर इलाज कैसे हो सकेगा ........ और ऊपर से तुर्रा ये कि उन्हें इलाज की भी विदेशी तकनीकी ही पता है......जोकि संभवतः हमारे देश में उतनी असरदार नहीं है.... <br /><br />आज वे उसी फील गुड को महसूस कर रहे हैं ....... जो कभी पिछली पार्टी ने महसूस किया था....... इतिहास खुद को दोहरा रहा है..... और कुछ नहीं.....मनोज कुमार श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17345943104372024070noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8095515996789094583.post-50664514471997349112011-11-28T07:50:54.360-08:002011-11-28T07:50:54.360-08:00आदरणीय दवे साहेब,
सत्य है की सरकार पूर्व में बाज...आदरणीय दवे साहेब, <br /><br />सत्य है की सरकार पूर्व में बाज़ार में डाली गई तरलता को वापस लेना चाह रही है..... परन्तु सत्य इतना ही मात्र नहीं है.... सरकार ने मंदी के दिनों में बाज़ार को बचाने के लिए कुछ हद तक ही तरलता प्रदान की .... परन्तु इसके अतिरिक्त कुछ खास नहीं किया..... सिर्फ अतिरिक्त क़र्ज़ प्रदान किया और ऋणों का पुनर्गठन .... इसके अतिरिक्त कुछ भी विशेस नहीं..... मंदी से पूर्व भी न तो ब्याज दरे इस स्तर पर थी.....और न ही मुद्रा स्फीति .... <br /><br />सादर <br /><br />मनोजमनोज कुमार श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17345943104372024070noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8095515996789094583.post-58830587631125120592011-11-28T07:04:47.062-08:002011-11-28T07:04:47.062-08:00बढ़िया आर्टिकिल है ..बढ़िया आर्टिकिल है ..कमल कुमार सिंह (नारद )https://www.blogger.com/profile/16086466001361632845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8095515996789094583.post-44421460096422961082011-11-27T23:02:48.799-08:002011-11-27T23:02:48.799-08:00उत्तम विचार हैं .. कमोबेश हावर्ड के प्रोफेसरों को...उत्तम विचार हैं .. कमोबेश हावर्ड के प्रोफेसरों को इतनी तो समझ होगी ही ...लेकिन फिर भी ... आँकड़ों से बहला रहे हैं ! अपने अपने जुगाड़ में हैं ..देश जाये भाड़ में ...जय होसंजय महापात्रhttp://sanjaymahapatradantewada.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8095515996789094583.post-82284758800969620972011-11-27T22:54:39.018-08:002011-11-27T22:54:39.018-08:00उत्तम विचार हैं .. कमोबेश हावर्ड के प्रोफेसरों को...उत्तम विचार हैं .. कमोबेश हावर्ड के प्रोफेसरों को इतनी तो समझ होगी ही ...लेकिन फिर भी ... आँकड़ों से बहला रहे हैं ! अपने अपने जुगाड़ में हैं ..देश जाये भाड़ में ...जय होAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8095515996789094583.post-18939048882188358422011-11-27T22:27:15.832-08:002011-11-27T22:27:15.832-08:00sahi vardan kiya hai
maine kabhi iss tarah socha h...sahi vardan kiya hai<br />maine kabhi iss tarah socha hi nahi tha<br /><br />banker ki nazar se sarkari netiyon ka vishleshan... ati uttamAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8095515996789094583.post-47167015382486215782011-11-27T22:18:25.005-08:002011-11-27T22:18:25.005-08:00अच्छा लिखा है आपने सरकार का मुख्य उद्देश्य बाजार स...अच्छा लिखा है आपने सरकार का मुख्य उद्देश्य बाजार से उस अतिरिक्त तरलता को सोखना है जो उसने पिछली मंदी से बचने के लिये बाजार मे झोंकी थी। लेकिन जाहिर है उस अतिरिक्त पैसो की का अधिकांश भाग उद्योगपतियो नेताओ व्यापारियों के कब्जे मे चला गया। अतः जमीने से लेकर अन्य चीजे महंघी हो गयी। महगांई के कारण मध्यम कामगारो व्यापारियों ने अपने लाभ का अनुपात भी बढ़ा लिया। इसलिये यह महंगाई अब सिस्टेमिक महंगाई बन चुकी है और इसे कम करने का कोई भी उपाय असफ़ल ही सिद्ध होगा। रूपये का हालिया अवमूल्यन इसी का नतीजा है। अब रूपये की कीमत मे गिरावट ही आनी है। बाहरी मुद्राओ की तुलना मे और देश के अंदर भी रूपये की क्रय शक्ति मेंArunesh c davehttps://www.blogger.com/profile/15937198978776148264noreply@blogger.com